Saturday, 17 December 2016

बच्चो के प्रति प्रेम

आपको अपने बच्चे से प्यार के लिए , उनके हर गलती में प्यार छुपा होता है ||


फादर फोर्गेट्स (हर पिता यह याद रखे )

                                                                   ब्ल्यू लीविंगस्टन लारनेड 

एक पिता अपे छोटे बच्चे से कहता है , और बच्चा सोया हुआ है

सुनो बेटा ! मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ |  तुम गहरी नींद ने सो रहे हो |  तुम्हारा नन्हा सा हाथ तुम्हारे नाजुक गाल के नीचे दबा है |  और तुम्हारे पसीना - पसीना ललाट पर घुंघराले बाल बिखरे हुये है | मैं तुम्हारे कमरे में चुपके से दाखिल हुआ हूँ ,अकेला | अभी कुछ मिनट पहले जब मैं लायब्रेरी में अखवार पढ़ रहा था , तो मुझे बहुत पश्चाताप हुआ | इसीलिए तो आधी रात को तुम्हारे पास खड़ा हूँ ,किसी अपराधी की तरह |
जिन बातों के बारे में मैं सोच रहा था | वह ये है ,बेटें | मैं आज तुम पर बहुत नाराज हुआ | जब तुम स्कूल जाने के लिए तैयार हो रहे थे , तब मैं तुम्हे खुब डाटा ,_ _ _तुमने टाबेल के बजाये पर्दे से हाथ पोछ लिए थे | तुम्हारे जूते गंदे थे , इस बात पर मैंने भी तुम्हे कोशा | तुमने फर्श पर इधर - उधर चीजे फेक रखी थी _ _ _इस पर मैंने भी तुम्हे भला- बुरा कहा |


नास्ता करते वक्त भी मैं तुम्हारी एक के बाद एक गलतियाँ निकालता रहा | तुमने डाइनिंग टेवल पर खाना बिखड़ा दिया था | खाते समय तुम्हारे तुम्हारे मुह से चपड़ -चपड़ की आवाज आ रही थी | मेज पर तुमने कोहनियों ,भी टिका रखी थी | तुमने ब्रेड पर बहुत सारा मक्खन भी चुपड़ लिया था | यही नहीं जब मैं ऑफिस जा रहा था और तुम खेलने जा रहे थे और तुमने मुड़कर हाथ हिला कर " बॉय -बॉय , डैडी" कहा था , तब भी मैंने भृकुटी तानकर टोका था ,"अपनी कॉलर ठिक करो |"
शाम को भी मैंने यही सब किया | ऑफिस से लौटकर मैंने देखा कि तुम दोस्तों के साथ मिट्टी में खेल रहे थे | तुम्हारे कपड़े गंदे थे , तुम्हारे मोजों में छेद हो गया थे | मैं तुम्हे पकड़कर ले गया और तुम्हारे दोस्तों के सामने तुम्हे अपमानित किया | मोज़े महँगे है -जब तुम्हे खरीदना पड़ेगा तब तब तुम्हे इसकी कीमत समझ में आयेगी | जरा सोचो तो सही ,एक पिता अपने बेटे का इससे ज्यादा दिल किस तरह दुखा सकता है ?
क्या तुम्हे याद है जब मैं लाइब्रेरी में पढ़ रहा तब तुम रात को मेरे कमरे में आये थे , किसी सहमे हुए मृगछौनी की तरह | तुम्हारी आँखे बता रही थी की तुम्हे कितनी चोट पहुँची है | और मैंने अखवार के ऊपर से देखते हुए पढने में बाधा डालने के लिये तुम्हें झिड़क दिया था ,"कभी तो चैन से रहने दिया करो | आब क्या बात है ?"और तुम दरवाजे पर ही ठिठक गये थे |

तुमने कुछ नहीं कहा | तुम भाग कर आये ,मेरे गले में बाँहे डालकर मुझे चूमा और "गुडनाईट " करके चले गये | तुम्हारी नन्ही बांहों की जकड़न बता रही थी की तुम्हारे दिल में ईश्वर ने प्रेम का ऐसा फूल खिलाया था जो इतनी उपेक्षा के बाद भी नहीं मुरझाया | और फिर तुम सीढियों पर खट- खट करते चढ़ गये |
तो बेटे , इस घटना के कुछ ही देर बाद मेरे हाथो से अख़बार छुट गया और मुझे ग्लानी हुई | यह क्या होता जा रहा है मुझे ? गलतियाँ ढूढने की , डांटने - डपटने की आदत सी पड़ती जा रही है मुझे | अपने बच्चे के बचपने का मैं यह पुरस्कार दे रहा हूँ | ऐसा नहीं है , बेटे , की मैं तुम्हे तुम्हे प्यार नहीं करता , पर मैं एक बच्चे से जरुरत से ज्यादा उम्मीदें लगा बैठा था | मैं तुम्हारे व्यवहार को अपनी उम्र के तराजू पर तौल रहा था |



तुम इतने प्यारे हो , इतने अच्छे और सच्चे | तुम्हारा नन्हा सा दिल इतना बड़ा है जैसे चौड़ी पहाड़ियों के पीछे से उगती सुबह | तुम्हारा बड़प्पन इसी बात से साबित होता है की दिन भर डाँटते रहने वाले पापा को भी तुम रात को ''गुड नाईट किस '' देने आये | आज की रात और कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं है , बेटे | मैं अँधेरे में तुम्हारे सिरहाने आया हूँ और मैं यहाँ घुटने टिकाये बैठा हूँ शर्मिंदा |
यह एक कमजोर पश्चाताप है | मैं जानता हूँ कि अगर मैं तुम्हे जगाकर यह सब कहूँगा , तो शायद तुम नहीं समझोगे | पर कल से मैं सचमुच तुम्हारा प्यारा पापा बनकर दिखाऊंगा | मैं तुम्हारे साथ खेलूँगा , तुम्हारे मजेदार बातें मन लगाकर सुनूँगा |तुम्हारे साथ खुलकर हँसूँगा और तुम्हारी तकलीफों को बाटूंगा | आगे से जब भी मैं तुम्हे डांटने के लिये मुंह खोलूँगा ,तो इससे पहले अपनी जीभ को अपने दांतों से दबा लूँगा | मैं बार -बार किसी मंत्र की तरह यह कहना सीखूंगा ,''वह तो अभी बच्चा है ...छोटा सा बच्चा ! ''
मुझे अफसोस है कि मैंने तुम्हे बच्चा नहीं , बड़ा मान लिया था | परन्तु आज जब मैं तुम्हे गुडी -मुड़ी और थका -थका पलंग पर सोया देख रहा हूँ ,बेटे ,तो मुझे एहसास होता है कि तुम अभी बच्चे ही तो हो | कल तक तुम अपनी माँ की बाँहों में थे ,उसके काँधे पर सिर रखे | मैंने तुमसे कितनी ज्यादा उम्मीदें की थीं ,कितनी ज्याद...



नोट : - हर वह पिता को जो अपने बच्चे को छोटी - मोटी गलती पर डाटते है||

Thursday, 8 December 2016

हम से है समाज

                                  हम से है समाज

समाज की अहमियत समझकर भी हम अक्सर दुसरों को उचित सम्मान नहीं दे पाते |
असमानता दूर करने की बात किसी व्यवस्था या विचार से ज्यादा हमारी सोच , हमारे व्यवहार पर निर्भर करती है | क्यों न ऐसे समाज बुने , जो सहअस्तित्व की राह पर आगे बढ़े | घर की चारदीवारी से बाहर कदम रखते ही समाज बांहे फैलाए तैयार दिखता है कुछ लोग यह कह ने से गुरेज नहीं करतेकि हमने जो कुछ पाया , अपने पुरुषार्थ के बल पर , इस समाज नें हमें क्या दिया ?  


                        BHASKAR YOUNG GENERATION

वास्तव में ,समाज हमें वही देता है , जो हम उसे देते है | 
  
सड़क पर लम्बे जाम का दोष उन्हें देते है , जिन्हें हम जानते भी नहीं |

 क्या हम नियमो का पूरी तरह पालन कर रहे है ?  

इसी तरह यदि आप शिक्षित है , अच्छे पद पर है , तो किसी को अनपढ़ -
गंवार कहकर उसकी खिल्ली उड़ाने की बजाय , उसे शिक्षित करने के बारे में सोचना चाहिए पैसा ,


 प्रतिष्ठा है , तो गरीबी -तंगहाली को कोसने के बजाय इसे मिटाने के लिए आगे आना चाहिए |||

समाजशास्त्री रितु सारस्वत की मने तो अपने समाज से असहयोगात्मक रवैया
अपनाने का परिणाम घातक है |

आएये पहल करे |

 किसी लाचार को सड़क पार कराने में मदद के लिए आगे आए|||

उस बच्चे के चेहरे पर मुस्कान लाएं, ख़ुशी जिससे रूठ गई है ....


अच्छा लगता है , जब बेटी की शादी में मदद के लिए दूधवाला आपके पास आता है | 


                      जिन्दगी की मुस्कान छलक जाएगी आपके चेहरे पर , जब आप समाज के कमजोर और
बंचित समझे जाने वाले लोगों का सहारा बनने आगे आएंगे  |

                              यही इंसानियत का तकाजा है ||

मै आपके समाज से आप हमारे समाज से ...........

              ( मै और आप )


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हम से है समाज