Thursday, 8 December 2016

हम से है समाज

                                  हम से है समाज

समाज की अहमियत समझकर भी हम अक्सर दुसरों को उचित सम्मान नहीं दे पाते |
असमानता दूर करने की बात किसी व्यवस्था या विचार से ज्यादा हमारी सोच , हमारे व्यवहार पर निर्भर करती है | क्यों न ऐसे समाज बुने , जो सहअस्तित्व की राह पर आगे बढ़े | घर की चारदीवारी से बाहर कदम रखते ही समाज बांहे फैलाए तैयार दिखता है कुछ लोग यह कह ने से गुरेज नहीं करतेकि हमने जो कुछ पाया , अपने पुरुषार्थ के बल पर , इस समाज नें हमें क्या दिया ?  


                        BHASKAR YOUNG GENERATION

वास्तव में ,समाज हमें वही देता है , जो हम उसे देते है | 
  
सड़क पर लम्बे जाम का दोष उन्हें देते है , जिन्हें हम जानते भी नहीं |

 क्या हम नियमो का पूरी तरह पालन कर रहे है ?  

इसी तरह यदि आप शिक्षित है , अच्छे पद पर है , तो किसी को अनपढ़ -
गंवार कहकर उसकी खिल्ली उड़ाने की बजाय , उसे शिक्षित करने के बारे में सोचना चाहिए पैसा ,


 प्रतिष्ठा है , तो गरीबी -तंगहाली को कोसने के बजाय इसे मिटाने के लिए आगे आना चाहिए |||

समाजशास्त्री रितु सारस्वत की मने तो अपने समाज से असहयोगात्मक रवैया
अपनाने का परिणाम घातक है |

आएये पहल करे |

 किसी लाचार को सड़क पार कराने में मदद के लिए आगे आए|||

उस बच्चे के चेहरे पर मुस्कान लाएं, ख़ुशी जिससे रूठ गई है ....


अच्छा लगता है , जब बेटी की शादी में मदद के लिए दूधवाला आपके पास आता है | 


                      जिन्दगी की मुस्कान छलक जाएगी आपके चेहरे पर , जब आप समाज के कमजोर और
बंचित समझे जाने वाले लोगों का सहारा बनने आगे आएंगे  |

                              यही इंसानियत का तकाजा है ||

मै आपके समाज से आप हमारे समाज से ...........

              ( मै और आप )


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