Sunday, 2 April 2017

भगवा ध्वज

                               भगवा ध्वज
लो आज ये भी जान लो...

भगवा ध्वज भारत का ऐतिहासिक एवं सांस्कृति ध्वज है। यह हिन्दुओं के महान प्रतीकों में से एक है। इसका रंग भगवा (saffron) होता है। यह त्याग, बलिदान, ज्ञान, शुद्धता एवं सेवा का प्रतीक है। यह हिंदुस्थानी संस्कृति का शास्वत सर्वमान्य प्रतीक है। हजारों हजारों सालों से भारत के शूरवीरों ने इसी भगवा ध्वज की छाया में लड़कर देश की रक्षा के लिए प्राण र न्यौछावर किये।

भगवा ध्वज, हिन्दू संस्कृति एवं धर्म का शाश्वत प्रतीक है। यही ध्वज सभी मन्दिरों, आश्रमों में लगता है। शिवाजी की सेना का यही ध्वज था; राम, कृष्ण और अर्जुन के रथों का यही ध्वज है।

भगवा ध्वज दो त्रिकोणों से मिलकर बना है जिसमें से उपर वाला त्रिकोण नीचे वाले त्रिकोण से छोटा होता है। ध्वज का भगवा रंग उगते हुए सूर्य का रंग है; आग का रंग है। उगते सूर्य का रंग और उसे ज्ञान, वीरता का प्रतीक माना गया और इसीलिए हमारे पूर्वजों ने इसे इसे प्रेरणा स्वरूप माना। ज्ञात हो तो मौलाना अबुल कलाम आजाद ने इसी भगवा ध्वज को स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रीय ध्वज स्वीकार करने का आग्रह किया था।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भगवा ध्वज को ही अपना गुरू माना है। संघ की शाखाओं में इसी ध्वज को लगाया जाता है, इसका ही वन्दन होता है और इसी ध्वज को साक्षी मानकर सारे कार्यतैत किये जाते हैं।इस ध्वज कि रक्षा के लिये लाखों हिन्दु तैयार है।
और मैं भी क्या आप तैयार है ?

जय श्री राम

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