सोच - समझ कर खुद ही फैसला कर लेता
BHASKAR YOUNG GENERATION
कमनी नाम का एक नर पक्षी पेड़ पर घोंसला बनाकर मजे से रहता था | एक दिन वह दाना - पानी के चक्कर में अच्छे फसल वाले खेत में गया | वहा खाने - पीने की मौज से वह बड़ा खुश हुआ | उस खुशी में वह अपना घोंसला ही भूल गया और वही रहने लगा | उधर शाम को चतुरंग नाम का एक खरगोश उस पेड़ के पास आया , जहाँ कमनी का घोसला था | घोसला ज्यादा ऊँचा नहीं था , पर था काफी बड़ा | चतुरंग को कमनी का घोसला पसंद आ गया , और वह वही रहने लगा | कमनी खेत में बिखरे अनाज खा-खाकर मोटा ताजा हो गया | एक दिन उसे अपना घोंसले की याद आई , तो वह वह वापस लौटा | उसने देखा की घोंसले में चतुरंग आराम से बैठा है | उसने खरगोश से कहा , चलो निकलो मेरे घर से | खरगोश शांति से जवाब देने लगा , यह तो मेरा घर है | तुम नहीं जानते की कोई एक बार कुआँ , तालाव या पेड़ छोड़कर जाता है , तो वह अपना हक़ भी गंवा देता है | यह सुनकर कमनी कहने लगा , इस तरह बहस करने से कुछ हासिल नहीं होगा | किसी तीसरे के पास चलते हैं | वह जो फैसला करेगा , वैसा ही होगा | वही पास में मार्जार नाम की बिल्ली बैठी थी | दोनों उसके पास गय और अपनी समस्या बताई | साथ ही उन्होंने यह भी कहा की आपकी नजर में जो झूठा है , उसे आप खा लें | मार्जार ने कहा , अरे रे ! यह तुम कैसी बात कर रहे हो | झूठे को खाने की काम मुझसे न होगा | मैं सिर्फ न्याय दूंगी | और फिर उसने धीरे से कहा , एक बात तुम लोगो के कान में कहना है | जरा करीब तो आओ | दोनों उसके बिल्कुल करीब गय | फिर क्या ? मार्जार ने करीब आए खरगोश को पंजे में पकड़ कर मुंह से चिड़िए को भी नोच लिया | इस तरह उसने दोनों का काम तमाम कर दिया |
नोट : - अगर विवाद का निपटारा आपस में कर लें तो तीसरा उससे फायदा नहीं उठा सकता |
SO DEAR FRIENDS SATH RAHIYE OR EK DUSRO SE PREM KARIYR ...
रवि भास्कर सिंह
धन्यवाद

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